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Monday, 13 November 2017

info about GST in hindi

GST कानून बनने की पूरी कहानी



जीएसटी को बहुत लंबे इंतजार के बाद लागू किया गया है. असल में ये एक ऐसा टैक्स रिफॉर्म है जिसके लिए गंभीर कोशिश 2003 से ही शुरू हो गई थी. 1954 में फ्रांस ने इसे सबसे पहले लागू किया और आज इसे दुनिया के 150 से ज्यादा देश लागू कर चुके हैं. आइए आपको बताते हैं कि देश कैसे-कैसे टैक्स सुधारों से होते हुए आज जीएसटी तक पहुंचा है.

14 अगस्त 1947 को जिस अंदाज में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी का ऐलान किया था, कुछ उसी अंदाज में, संसद के उसी 

सेंट्रल हॉल से जीएसटी का आगाज. संविधान में बदलाव कर लाया गया सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म जीएसटी, इतिहास और वर्तमान संबंध की बेहतरीन बानगी है. देश में जीएसटी और एक देश, एक टैक्स के सिद्धांत की तलाश करें, तो भी इतिहास में कम से कम चार दशक का सफर बनता है. शायद इसीलिए प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने सभी दलों और पूर्व की सरकारों को इसका श्रेय दिया.

सबसे पहले 1978 में आरबीआई के पूर्व गवर्नर एल के झा के नेतृत्व में इनडायरेक्ट टैक्सेसन कमिटी ने मॉडिफाइड वैल्यू एडेड टैक्स की वकालत की. इसी सूत्र को आगे बढ़ाते हुए राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1986 में कई तरह के एक्साइज के कैस्केडिंग इफेक्ट को समाप्त करने वाला मॉडिफाइड वैल्यू एडेड टैक्स मॉडवैट लागू किया. 1991-92 में नरसिंह राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने राजा चेलैया टैक्स सुधार समिति बनाई जिसने वैल्यू एडेड टैक्स यानि वैट की वकालत की. उसी समिति की सिफारिशों के मुताबिक साल 1994 में पहली बार सर्विस टैक्स भी लागू किया गया.

1997 में देवगौड़ा सरकार के दौरान वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट में पीक कस्टम ड्यूटी 50 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी की, जिसे टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने के मामले में एक बड़ा कदम माना जाता है. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने टैक्स रिफॉर्म की गाड़ी आगे बढ़ाई और देश में वैट लाने के प्रयास शुरू हुए. इसी सरकार के दौरान 1 अप्रैल 2002 से वैट लागू करने की घोषणा हुई. लेकिन व्यापारियों के विरोध के चलते इसे 1 अप्रैल 2003 तक टाल दिया गया.

2003 में जब वित्त मंत्रालय का जिम्मा जसवंत सिंह के पास था, तो वित्तीय सुधारों के लिए बनाए गए एक टास्क फोर्स के निष्कर्ष में जीएसटी का पहला स्वरुप सामने आया जिसमें राज्यों के लिए 7 फीसदी और केंद्र के लिए 5 फीसदी टैक्स रेट की बात थी. साल 2007 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने की घोषणा की और एंपावर्ड कमिटी बनाकर सहमति के प्रयास शुरू किए गए.

2009-10 में तेरहवें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में जीएसटी के लिए गुंजाइश बनाई. 2011 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने, जो तत्कालीन वित्त मंत्री थे, जीएसटी के लिए संविधान संशोधन बिल पेश किया. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने इसका तीखा विरोध किया था.

यूपीए की सरकार 2014 के चुनाव आने तक जीएसटी बिल पर सहमति नहीं बना पाई और बिल लैप्स हो गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी पर नए सिरे से प्रयास किए और नियति के इस मंच पर जीएसटी अब एक हकीकत है, पहली बार संसद में जीएसटी का बिल रखने वाले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति हैं और तब इसका प्रखर विरोध करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री.

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